रक्षाबंधन 2022 | Raksha Bandhan 2022 Date | Raksha Bandhan Subh Murhat 2022

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है | रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है | रक्षाबंधन 2022 में कब है | तो चलिए जानते है, उसका सभ मुहूर्त क्या है,

रक्षाबंधन कब मनाया जाता है

रक्षाबंधन 2022 |  Raksha Bandhan 2022 Date | Raksha Bandhan Subh Murhat 2022
रक्षाबंधन 2022 | Raksha Bandhan 2022 Date | Raksha Bandhan Subh Murhat 2022

रक्षाबंधन को श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदुओ का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार को भारत देश के अलावा भी दूसरे देश में रेहते हिंदू धर्म के लोग यह पर्व मनाते है। रक्षाबंधन का महत्व आध्यात्मिक के साथ साथ ऐतिहासिक भी महत्व रहा है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच हर साल मनाया जाता है।यह एक धार्मिक त्योहार है।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन का आरम्भ पौराणिक काल से चला आ रहा है । वैसे रक्षाबंधन के इतिहास के बारे में कोई स्पष्टा नहीं की गई है । यह त्यौहार इसलिए मनायाजाता है क्यूंकि ये एक भाई का अपने बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है.यह एक भाई बहन के बीच के प्यार के प्रतीक को दर्शाता है ओर इतना ही नहीं वह इसके केवल सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस पर्व की मर्यादा को समझते है वो इसका पालन कर सकते हैं. इस मौके पर, एक बहन अपने भाई के कलाई में राखी बांधती है.रक्षा का मतलब सुरक्षा ओर बंधन का मतलब बाध्य है । रक्षाबंधन के दिन बहने भगवान से अपने भाईयों की तरक्की के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को- भुआ द्वारा भतीजे को ) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।

रक्षाबंधन 2022 मेंकबहै ,उसका सभमुहूर्त क्या है

रक्षाबंधन इस बार  11-August [ ११- अगस्त]गुरूवार सावन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को है 

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 28 मिनिट से लेकर रात्रि के 9 बजकर 14 मिनिट तक रहेगा,यानी की बारह घंटे तक का सभ मुहूर्त है ।

रवि योग सुबह 5 बजकर 48 मिनिट से शुरू होकर सुबह 6 बजकर 53 मिनिट तक रहेगा ।

अमृत काल शाम 6 बजकर 55  मिनिट से लेकर शाम के 8 बजकर 20 मिनिट तक रहेगा ।

राखी बांधने की विधी

राखी बांधने से पहले यह जानना बोहोत ही ज़रूरी है कि राखी की असल विधी क्या है वह कोनसी दिशा में बेठ कर बांधना चाहिए ओर इतना ही नहीं राखी बांधते समय कौन कौन सी विधी करनी चाहिए वह नीचे दिया गया है 

  • राखी बांधते समय भाई को हमेशा पूर्व दिशा की तरफ़ मुँह करके बिठाना चाहिए ओर बहन को हमेशा पश्चिम दिशा की तरफ़ मह रखकर राखी बांधनी चाहिए क्यू की ऐसा करने से आपकी राखी को सभी देवी देवता के आशीर्वाद प्राप्त होते है । 
  • राखी बांधते समय भाई के सिर पर सफ़ेद वस्त्र, रूमाल या कोई भी स्वच्छ कपड़ा रखना चाहिए।
  • उसके बाद बहन भाई को दाहिने हाथ में राखी बांधे ओर फिर कुमकुम, चंदन व रोली का तिलक करे।
  • तिलक लगाने कह बाद तिलक पर चावल यानी की अक्षत लगाए ओर कुछ उन पर आशीर्वाद के रूप में छिड़क भी दे।
  • उसके बाद भाई की आरती एक दिया जलकर करके फिर भाई ओर बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाए ।
  • उसके बाद भाई बहन को आशीर्वाद के रूप में गिफ़्ट, पैसे या फिर कुछ भी दे सकते है ।

राखी बांधते समय कोनसा मंत्र बोले ?

बहन भई को राखी बांधते समय तह मंत्र का उच्चारण करे जिसे बोलने कह बाद भाई की सुरक्षा  के साथ साथ लम्बे जीवन का आशीर्वाद मिले। 

               येन बद्धो बलि राजा, 

               दानवेन्द्रो महाबल: तेन

               त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे 

               माचल माचल:।।

तिलक करते समय कोनसा मंत्र बोले ?

                     “सिन्दूरं सौभाग्य वर्धनम, 

                       पवित्रम् पाप नाशनम्। 

      आपदं हरते नित्यं, 

      लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥

रक्षाबंधन का इतिहास

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का बड़ा ही विशेष महत्व रहा है ओर इतना ही नहीं विश्व इतिहास में भी रक्षाबंधन का बहुत महत्व रहा है. रक्षाबंधन पर कुछ महत्वपूर्ण घटनायें हुए थी जिनके बारे में बोहोत कम लोगों को पता होता है तो आए जानते है एसे ही कुछ रक्षाबंधन सम्बंधित महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जिनका वर्णन नीचे दिया गया है।

  • 1905 काबंगभंगऔररविन्द्रनाथटैगोर :

भारत में जिस समय अंग्रेज अपनी सत्ता जमाये रखने के लिए ‘डिवाइड एंड रूल’ की पालिसी अपना रहे थे, उस समय रविंद्रनाथटैगोर ने लोगों में एकता के लिए रक्षाबंधन का पर्व मनाया. वर्ष 1905 में बंगाल की एकता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार बंगाल को विभाजित तथा हिन्दू और मुस्लिमों में सांप्रदायिक फूट डालने की कोशिश करती रही. इस समय बंगाल में और हिन्दू मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए और देश भर में एकता का सन्देश देने के लिए रविंद्रनाथ टैगोर ने रक्षा बंधन का पर्व मनाना शुरू किया.

सिकंदरऔरराजापुरु :

एक महान ऐतिहासिक घटना के अनुसार जब 326 ईस पूर्व में सिकंदर ने भारत में प्रवेश किया, सिकंदर की पत्नी रोशानक ने राजा पोरस को एक राखी भेजी और उनसे सिंकंदर पर जानलेवा हमला न करने का वचन लिया. परंपरा के अनुसार कैकेय के राजा पोरस ने युद्ध भूमि में जब अपनी कलाई पर बंधी वह राखी देखी तो सिकंदर पर व्यक्तिगत हमले नहीं किये.ओर इस तरह से युध वह पर रुक गया था। 

रानीकर्णावतीऔरहुमायूँ :

एक अन्य ऐतिहासिक गाथा के अनुसार रानी कर्णावती और मुग़ल शासक हुमायूँ से सम्बंधित है. सन 1535 के आस पास की इस घटना में जब चित्तोड़ की रानी को यह लगने लगा कि उनका साम्राज्य गुजरात के सुलतान बहादुर शाह से नहीं बचाया जा सकता तो उन्होंने हुमायूँ, जो कि पहले चित्तोड़ का दुश्मन था, को राखी भेजी और एक बहन के नाते मदद माँगी. हालाँकि इस बात से कई बड़े इतिहासकार इत्तेफाक नहीं रखते, जबकि कुछ लोग पहले के हिन्दू मुस्लिम एकता की बात इस राखी वाली घटना के हवाले से करते हैं.

सिखोंकाइतिहास :

18 वीं शताब्दी के दौरान सिख खालसा आर्मी के अरविन्द सिंह ने राखी नामक एक प्रथा का अविर्भाव किया, जिसके अनुसार सिख किसान अपनी उपज का छोटा सा हिस्सा मुस्लिम आर्मी को देते थे और इसके एवज में मुस्लिम आर्मी उन पर आक्रमण नहीं करते थे.

महाराजारणजीतसिंह, जिन्होंने सिख साम्राज्य की स्थापना की, की पत्नी महारानी जिन्दान ने नेपाल के राजा को एक बार राखी भेजी थी. नेपाल के राजा ने हालाँकि उनकी राखी स्वीकार ली किन्तु, नेपाल के हिन्दू राज्य को देने से इनकार कर दिया.

निषकर्ष

अब आपको मालूम पद गया होगा की Raksha Bandhan का महत्व क्या है, अगर आपको हमारा यह लेखा पसँद आया तो नीचे कोमेंट करे

About Author : Pratham Ahir
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